ग़ज़ल - ज़िंदगी में कभी तो वफ़ा कीजिए
ग़ज़ल - ज़िंदगी में कभी तो वफ़ा कीजिए
ज़िंदगी में कभी तो वफ़ा कीजिए।
मतलबी बन के यूँ मत दग़ा कीजिए।
हुस्न वाले यहाँ पर बहुत हैं मगर,
दिल तुझी पर है आया तो क्या कीजिए।
हम समाये हुए हैं नज़र में तेरी,
कैद अच्छी लगे मत रिहा कीजिए।
नींद भी उड़ गयी चैन भी लुट गया,
इस बीमारी कि थोड़ी दवा कीजिए।
मानता हूँ कि तुमको बहुत काम हैं,
याद हमको ज़रा सा किया कीजिए।
याद करते रहे रात दिन हम तुझे,
फिर कभी भी हमें मत जुदा कीजिए।
ख़ूबसूरत है चेहरा मगर दिल नहीं,
क़द्र थोड़ी हमारी करा कीजिए।
झूठ अच्छा नहीं है तुम्हारे लिए,
प्यार दिल में छिपा मत घुटा कीजिए।
आज फ़िर से लिखी है नई इक ग़ज़ल,
गीत बन कर लबों पर सजा कीजिए।