STORYMIRROR

Dr.SAGHEER AHMAD SIDDIQUI डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी

Romance

4  

Dr.SAGHEER AHMAD SIDDIQUI डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी

Romance

भरम टूट गया

भरम टूट गया

1 min
372

जब मिले उनसे इनायत का भरम टूट गया।

उनको है मुझसे मोहब्बत यह भरम टूट गया।

जो मोतबर था वही शख्स अब कातिल निकला।

देखकर जुल्म कयामत का भरम टूट गया।

उसी ने कत्ल किया और वही मुंसिफ है।

मैं कटघरे में अदालत का भरम टूट गया।

पारसा कहते थे खुद को और गुनहगार मुझे।

आईना देखा तो तोहमत का भरम टूट गया।

अब मेरा जिक्र भी करते हैं तो रो देते हैं।

ऐसा लगता है कि हसरत का भरम टूट गया।

तुम मिले जब से हकीकत में बदल दी दुनिया।

तुम्हारे बाद तो चाहत का भरम टूट गया।

सगीर वो कब से लिए फिरते थे बुग्जो हसद।

जब मिले मुझसे तो नफरत का भरम टूट गया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance