आ गया फिर बहार का मौसम
आ गया फिर बहार का मौसम
शबनमी शब, फुहार का मौसम।
प्यार का और खु़मार का मौसम।
उस ने जब से गले लगाया है।
आ गया फिर बहार का मौसम।
दिल मेरा बाग़-बाग़ लगता है।
देख कर इस दयार का मौसम।
पुर मसर्रत निशात है हर पल।
उसके वादों का प्यार का मौसम।
फूल उसके लबों की जी़नत है।
गेसू ए आबशार का मौसम।
नफ़रतों को अगर भुला डालो।
प्यार है बे शुमार का मौसम।
याद परदेस में बहुत आए।
मां की ममता दुलार का मौसम।
मां के हाथों से वो बना खाना।
मीठे खट्टे अचार का मौसम।
वो तो मज़दूर है वो क्या जाने।
आम का और अनार का मौसम।
उसको क़ीमत मिले जो फसलों की।
खत्म होता उधार का मौसम।
मैं हूं बैठा "सगी़र" राहों में।
पूछ मत इंतज़ार का मौसम ।
