ढलना सीखो
ढलना सीखो
ईर्ष्या क्यों करते परिस्थितियों को बदलना सीखो,
प्यार ही प्यार फैलाओ हर मौसम में ढलना सीखो,
जरूरी तो नहीं जो तुम चाहो वह मिल जाए तुम्हें ,
सही मार्ग अपनाकर तुम सूरज सा चमकना सीखो,
रोकने के लिए कई मुश्किलें खड़ी हैं तेरी राहों में
अपना अभिनय कर हर बाधाओं से लड़ना सीखो,
जरूरी तो नहीं सब बदल जाए यहाँ तुम्हारे लिए,
बस गिरगिट से बदलते उन चेहरों को पढ़ना सीखो,
सहित पर पहुँचने के लिए सागर से लड़ना होता है,
जीवन में आए तूफानों से लेकर आगे बढ़ना सीखो!
सुख संग दुख वैसे ही फूलों के संग कांटे में मिलते हैं,
हम कांटों में उलझ कर भी फूलों सा महकना सीखो!!
