Sandeep Kumar

Abstract

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Sandeep Kumar

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कल भी था आज भी है ज्यों का त्यों भ्रष्टाचार

कल भी था आज भी है ज्यों का त्यों भ्रष्टाचार

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सरकार बदली व्यवस्था बदला

ना बदला तो अत्याचार

कल भी था आज भी है

ज्यों का त्यों भ्रष्टाचार।।


बिलक बिलक कर रोता है

दीन हीन और लाचार

वादे का पक्का मंत्री

जरूरत पर नजर ना आता यार।।


खिड़की खोल कर देखो

कहीं दिख जाए मंत्री का परिवार

लाल बत्ती गाड़ी में है या

पैदल चल रहा है यार।।


ज्यो ना आंख में पानी है उनका

ना है दया धर्म और प्यार

दौलत के लिए प्राण तक है लेता 

या प्राण बसा है दौलत में यार।।


जबकि बेचारे गरीब दुखिया

चित्कार करता मदद करो मदद करो

पर कौन है सुनता इनका

यह है आम नागरिक यार।।


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