उसे देखा,आह आया,फिर जाने दिया
उसे देखा,आह आया,फिर जाने दिया
जो हो रहा था उसे होने दिया
देख कर भी रोए को रोने दिया
दे न सका सहारा जरा सा बुजदिल
किया किनारा डुबे को डुब जाने दिया।।
तड़प रहा था जो एक रोटी के लिए
उसे देखा, आह आया, फिर जाने दिया
जाती धर्म मजहब के इस दीवार ने
पांव रोका, जमी डगमगाया, जाने दिया।।
मानवता शर्मसार हुई हो जाने दिया
देखा, अस्मत लुटा, लुट जाने दिया
आज इंसान इतना गिर गया है क्या कहें
चुल्लू भर पानी में, इंसानियत डुबा, व मर जाने दिया।।