क्या खोया क्या पाया।
क्या खोया क्या पाया।
राहुल और सलोनी एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे। दोनों बचपन से एक-दूसरे के आस-पड़ोस में रहते थे। स्कूल में दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते थे। राहुल और सलोनी दोनों ही बहुत होशियार थे और कक्षा में कभी राहुल तो कभी सलोनी प्रथम स्थान प्राप्त करते थे।
उनके माता-पिता की आपस में नहीं बनती थी और जाति भी अलग-अलग थी। राहुल और सलोनी दोनों की माँ की मृत्यु हो गई थी और दोनों को उनके पिता जी ने पाला था।
राहुल के पापा जी राम लाल की बहुत सारी कम्पनियां थी। सलोनी के पापा जी श्याम लाल की भी कई कम्पनियां थी। दोनों की स्टील का काम था और दोनों एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन बन गए थे।
दसवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद दोनों का एक ही कॉलेज में दाखिला हुआ था और कॉलेज आने-जाने लगे।
कॉलेज में उन दोनों को एक-दूसरे से प्यार है इस बात का एहसास हुआ। धीरे-धीरे मुलाकात बढ़ने लगी और चोरी-चोरी चुपके-चुपके दोनों मिलने लगे।
दोनों के माता-पिता को इस बात का पता चला और राम लाल और श्याम लाल इनकी शादी के लिए मान गए। सलोनी के पापा जी अपनी इकलौती बेटी से बहुत प्यार करते थे और उन्होंने राम लाल जी से विनती की और राहुल के पापा जी मान गए।
सलोनी और राहुल की शादी हो गई और दोनों हनीमून मनाने सिंगापुर गए और कुछ दिनों रहने के बाद वापिस आने वाले थे कि तभी राम लाल जी ने राहुल को वहीं पर रहने को कहा और सिंगापुर में राहुल को कम्पनी का काम संभालने को कहा।
राहुल और सलोनी वहीं पर खुशी-खुशी रहने लगे और कुछ महीने बाद अचानक राहुल को पता चलता है कि सलोनी के पापा जी ने दहेज में अपनी सारी चल-अचल संपत्ति राम लाल जी के नाम कर दी थी। राहुल ये सुनकर भौंचक्का रह गया और उसने तुरंत सलोनी के साथ भारत आने का निर्णय लिया और अगले दिन सुबह ही वो पहली फ्लाइट से भारत आएँ।
राहुल सलोनी के साथ घर पहुंचा और उसने राम लाल जी से सारी सम्पत्ति श्याम लाल जी को वापिस करने के लिए कहा।
राम लाल जी ने साफ-साफ इंकार कर दिया और राहुल जो कि उनका इकलौता बेटा था ने अपने पिता से सारे रिश्ते-नाते तोड़ दिए और वो अपने ससुर जी के घर चला गया।
उसने गाँव में जाकर देखा कि उसके सास-ससुर एक कच्चे मकान में रहते हैं। उसके सास-ससुर को सलोनी ने बताया कि वो अपने माता-पिता से हमेशा के लिए सारे रिश्ते-नाते तोड़ आया है। श्याम लाल जी दोनों को बहुत समझाते हैं पर राहुल नहीं मानता और फिर वो सब हँसी-खुशी रहने लगते हैं।
राम लाल जी प्रतिशोध की भावना से जलते हुए अपने कुछ गुंडे-बदमाशों के साथ जाकर मौका देखकर घर में बम रखवा देते हैं।
राहुल की तबीयत आज बहुत ख़राब थी और उसे बहुत तेज बुखार था और वो दवाई लेकर आराम कर रहा था और श्याम लाल जी और सलोनी किसी काम से बाहर जाते हैं और जैसे ही वो बाहर निकलते हैं कि पीछे से ज़ोर से धमाके की आवाज सुनाई देती है और वो देखते हैं कि कैसे उनका कच्चा मकान तहस-नहस हो गया और राहुल के शरीर के लोथड़े हवा में लहराते हुए गिरते हैं। सलोनी और श्याम लाल जी फूट-फूटकर रो रहें हैं और राम लाल जी आते हैं और देखते हैं कि श्याम लाल और सलोनी दोनों बिल्कुल ठीक-ठाक है और राहुल नज़र नहीं आ रहा।
सलोनी भागकर अपने ससुर जी के पास जाकर उन्हें सब बताती है। राम लाल ये सुनकर भौंचक्का रह जाता है और फूट-फूटकर रोने लगता है। तभी राम लाल का मोबाइल पर कॉल आती है और सलोनी कॉल उठाती है और दूसरी तरफ से आवाज़ आती है कि बॉस कच्चे मकान को बम से उड़ा दिया है और ये सुनकर सलोनी राम लाल जी की तरफ देखती है और राम लाल अपनी बहू से क्षमा माँगता है और पुलिस राम लाल को पकड़ कर जेल भेज देती है। अदालत उसे उम्रकैद की सज़ा सुनाती है। सलोनी अपने ससुर जी से मिलने जाती है और कहती है देख लीजिए आपके लालच का नतीजा और आपने क्या खोया और क्या पाया।