फूलों के बाग़
फूलों के बाग़
बागों में खिले है आज कितने सुंदर फूल,
देख इन्हें मैं तो गई अपने दुःख दर्द भूल।
अलग रंग और अलग है प्रकार,
पर कोई एक भी नहीं इनमें बेकार।
कोई हार की शोभा बढ़ाता,
तो कोई भगवान के चरणों में चढ़ता।
कोई गमले की शान बढ़ाता,
तो कोई बालों में है सजता।
कितने खुश्बुओं से है ये बाग़ मेहक रहा,
इतने सारे रंग देख मेरा मन है बेहेक रहा।
ऊपरवाले ने है फूलों में इतने रंग भरे,
देख इनको खुशी से मेरे आंखो से आंसू बहे।
मस्त मगन हो गई मैं आज इस बहार में,
जिंदगी यूं ही रहे रंगीन करूं ये फरियाद मैं।
