गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी
बचपन में टीवी पर गणेश चतुर्थी
के अवसर पर फिल्मी और टीवी के सितारों को
घर पर गणेश जी को लाते देख,
मैं भी सोचती क्या गणपति बप्पा मेरे घर भी
कभी आएंगे? पूजा की सभी विधि में
मैं तो पारंगत नहीं,
सही तरीके से स्तुति करना
भोग लगाना भी मुझे आता नहीं,
मां को भी मैंने पूछा कि क्या
गणपति बप्पा हमारे घर भी
आएंगे हर साल, मां ने कहा था हम
तो सिर्फ प्रार्थना कर सकते हैं,
बाकी तो प्रभु की इच्छा है,
मां की बातों ने मुझे एक उम्मीद दिया
कभी तो बप्पा आएंगे,
और मैं इंतज़ार करने लगी...
मैं आज भी शब्दों में बयान
नहीं कर पाऊंगी गणेश चतुर्थी पर
पर पहली बार गणेश जी को
हमें अवसर मिला, वो खुशी
आज भी दिल के करीब है,
न जाने कैसी एक दैवीय शक्ति है
जो मन की दुविधाएं इन दिनों में
दूर कर विघ्नों से निकलने के लिए रास्ता दिखाती है,
"गणपति बप्पा मोरया" इस जयकारे को सुन
हृदय पुलकित हो उठता है,
गणेश जी का स्तुति करने पर उनकी उपस्थिति शुभ कर्ता और विघ्न हर्ता रुप में जीवन के हर मोड़ पर
एहसास होता है,
हर साल उनके स्वागत के लिए
हम तैयारी ख़ुशी से करते
लेकिन हम सब जानते हैं
गणपति विसर्जन का दिन
किस प्रकार हमारे आंखों से
आंसू आते, विदा तो हम करते हैं
साथ ही अगले साल बप्पा के
जल्दी आने की कामना करते।
