परिवार से प्यार
परिवार से प्यार
प्यार परिवार से भी करना है
ताज्जुब है आज परिवार को ही
हम भुला बैठे हैं!
परिवार के बीच होकर भी
काम के तनाव में रहते,
या मोबाइल में व्यस्त होते,
एक दूसरे के आपने-सामने
होते हुए भी दिल की भावना
कह नहीं पाते, रिश्तों में उपहार
दिखावे की तरह देने का प्रयास करते,
सबसे जरूरी है एक दूसरे से बात करना,
रिश्तों को विश्वास से सिंचना,
परिवार को समय देना, है एक सुंदर कला,
एक दूसरे से बात करना और
परिजनों की दृष्टिकोण को
समझना भी है एक आवश्यकता,
संभव है कभी आपके विचार
परिजनों से मेल न खाएं
गुस्सा करें बिना अपना पक्ष रखें,
परिवार में माफ़ करना और माफी मांगनी की समझदारी दिखाकर बढ़ाकर बरक़रार रखते
परिवार से प्यार की भावना।

