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S N Sharma

Abstract Inspirational

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S N Sharma

Abstract Inspirational

अपनी सांसों में बसते हैं।

अपनी सांसों में बसते हैं।

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रिश्ते तो बस रिश्ते हैं अपनी सांसों में बसते हैं। 

हम रिश्तों की खातिर रोते रिश्तों से ही हंसते हैं।


सारे रिश्ते हैं जन्म जनित मात्र दोस्ती रही अलग।

सब रिश्ते हमको चुनते हैं सिर्फ दोस्त हम चुनते हैं।


कुछ रिश्ते होते है किराए के मकान से क्या कीजे।

लाख सजावट कर लो इनमें यह न अपने होते हैं।


वक्त और दौलत पाई दोनों में बस ये अंतर है।

बचे वक्त का पता नहीं दौलत के तो पर होते है।


रिश्ता गरीब से करीब का हो तो बताने में शर्म लगे

दूर का रिश्ता बड़े आदमी से बढ़ चढ़कर कहते हैं।


रिश्ता तो चाह कर भी कभी खत्म नहीं हो पाता।

बातों से छूट कर भी रिश्ते आंखों में बने रहते हैं।


बमुश्किल छूट कर ये आंखों से अगर चले भी गए।

 रिश्ते बड़े हरजाई है फिर भी यादों में सजे रहते हैं।



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