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Ruchika Rai

Abstract

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Ruchika Rai

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जीवन के बाद

जीवन के बाद

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जीवन के बाद एक अलग दुनिया की कल्पना,

जहाँ दुख दर्द से हो मुक्ति,

सुख ही सुख से लगे जीवन बना।

जहाँ विरह की व्यथा न हो,

जहाँ दर्द की कोई सजा न हो,

जहाँ फूलों की खुशबू से मन आह्लादित,

काँटों से कोई वफ़ा न हो।


जीवन के बाद शायद परीक्षाओं का अंत हो,

हर मौसम लगे जैसे बसंत हो,

नही कोई बातें लगे मनगढ़ंत हो।

प्यार ही बस प्यार हो,

नफ़रतों की नही कोई दकरार हो,

ईर्ष्या द्वेष से परे रहे सभी सदा ही,

बस सुखद जीवन का हर पल स्वीकार हो।


जीवन के बाद शायद दुख का नही स्थान हो,

हर जगह मिले बस सम्मान हो,

हमारी अपनी एक अलग पहचान हो।

बस जीवन में सुखों का विहान हो,

वही हमारी सदा रहे शान हो,

जीवन को जीवन के लिए मिले एक नाम हो।


जीवन के बाद सब अच्छा हो,

बस इसके लिए कर्म हमारे सच्चे हों।

नियत हमारी साफ हो,

भूल चूक सारे ही माफ़ हो।

नही कभी अभावों वाली काली रात हो,

सुख की सारी बरसात हो।


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