रब की मर्जी।
रब की मर्जी।
रब की मर्जी से यहां चैनों अमन है यारों ।
खिजां की मार से सूखा ये चमन है यारों।
नियति ने कभी मौका दिया कभी धोखा।
जिंदगी में कभी खुशियां कभी गम है यारों।
हमें जो भी मिला हमने उसे मिट्टी समझा ।
खो गए की कसक दिल में दफन है यारो।
आगे बढ़ते हुए की टांग खींच लेने का ।
मैने देखा यह जमाने का चलन है यारों।
प्रेम वही सुंदर जब छल की परछाई न हो।
छल से भरी वासना तो इक उलझन है यारो।
पीठ पीछे तो गालियां दिया करते हैं लोग
सामने चुप रहें इतना ही क्या कम है यारो।
शिवा
भोपाल
