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Ganesh Chandra kestwal

Abstract Inspirational

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Ganesh Chandra kestwal

Abstract Inspirational

शंकर

शंकर

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कल्याण सदैव करे, जगत की पीड़ा हरे,

शंकर जी हर हर, चित्त बसते हैं।

सुखी नर-तन करे, तन रोग सब हरे,

वैद्यनाथ भूतपति, पीड़ा नशते हैं। 


आशुतोष महादानी, कब हुए अभिमानी? 

अवधूत रूप धारे, जड़ हँसते हैं।

धर्म रूप वाहन है, नाम महा पावन है, 

प्रिय मास सावन है, शिव लसते हैं॥१॥


कंठ पर नाग हार, शंभु भोले जग सार,

जटा बहे गंगधार, शंकर जानिए।

बालचंद्र जटा सोहे, भस्म तन जग मोहे,

बाघंबर कटि धारे, भक्ति को ठानिए। 


डमरु त्रिशूलधारी, फैले तन सर्प सारे,

मृत्युभय भोले हारे, महिमा मानिए।

महादेव महेश को, रमानाथ रमेश को, 

सुमन में बिठाकर मन को तानिए॥२॥


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