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Ganesh Chandra kestwal

Comedy Others

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Ganesh Chandra kestwal

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आज रिश्ता धन बना है

आज रिश्ता धन बना है

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धन भरा हो जेब जिसके, निज वही जन आज है।

मान मिलता है उसी को, साध सकता काज है।

नेह भाषा जानता वह, प्रेम का संसार है ।

योग्य अभ्यागत वही है, इस जगत का सार है॥१॥


पूछते धनवान को सब, मान अपना मानते।

खूब सेवा योग्य जग में, देव उसको जानते ।

रक्त संबंधी जहाँ में, कब कहो पहचानते?

सूट पहने झूठ बोले, शान उसके साथ में।

जो दिखावा कर सके नित, हाथ उसके हाथ में॥२॥


आज रिश्ता धन बना है, भाग्य में सबके कहाँ?

स्वार्थ से दुनिया सजी है, देख लो सब सच यहॉं। 

चापलूसी नित जताकर, ध्यान उसका खींचते ।

झूठ गाथा नित सुनाकर, झूठ को ही सींचते॥३॥



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