गणतंत्र
गणतंत्र
॥ॐ श्री वागीश्वर्यै नमः॥
गणतंत्र यह स्वतंत्र देश का सुहा रहा।
डंका अशेष विश्व में निजी बजा रहा।
छब्बीस जनवरी पचास से बना हुआ।
ज्ञानी सुधी विशेष बुद्धि से सधा हुआ॥
भारत विशाल देश में सुबुद्धि दे रहा।
सम्मान विश्व में बड़ा विशेष ले रहा ।
बाधा समस्त राष्ट्र की यही मिटा रहा।
साधन सुखी भविष्य के यही जुटा रहा॥
मानव सभी समान हैं सदा सिखा रहा।
उन्नति सुमार्ग भी सदा हमें दिखा रहा।
रक्षा 'प्रखर' करें सदा महान तंत्र की ।
माला जपें सुचित्त से विशिष्ट मंत्र की॥
