STORYMIRROR

अनजान रसिक

Inspirational

4  

अनजान रसिक

Inspirational

आज के वार

आज के वार

2 mins
288


रोज़-रोज़ झकझोरता हुआ एक ख्याल ह्रदय में आता है ज़ार-ज़ार बारम्बार जो हुआ ना पहले कभी ,क्या कुछ ऐसा होगा आज के वार ? 

हाँ!! थोड़ी सी उम्मीद ,आशा की एक प्रज्ज्वलित लौ, नज़र तो आती है आज मुझको 

कि खुद को पहचान ,पहचान अपनी एक नयी बना सकती हूँ आज तो 

क्योंकि सबको पहचानने और परख्नने से पहले,खुद की पहचान सबसे कराने से पहले,

खुद की खुद से पहचान ज़रूरी है, अपनी अंतरात्मा से एक मुलाकात ज़रूरी है.

जब ख़्वाबों का महल स्पष्ट दिखने लगेगा, जब धूमिल रास्तों पर से धूल का उबार छटने लगेगा ,

तब मंज़िल भले ही ना मिली हो , पर सब कुछ स्पष्ट व साफ़ नज़र आने लगेगा,

 दूध का दूध पानी का पानी तब हो जाएगा,

ज़िंदगी का मायना तब बेहतर ढंग से समझ आएगा ।  

रोज़- रोज़ हृदय में स्पंदन करता हुआ और उसे झकझोरता हुआ जो वो ख्याल आता है ना ,

जो पल - पल रह-रह कर सताता है ना ,

तब कुछ तो शान्ति पायेगा , जब अपने को ढूंढ लूँगी, मुलाक़ात खुद से कर लूँगी,

रूबरू अंतर्मन से होकर , खुद की खुद से पहचान कर लूंगी .

खामियां अपनी पहचान कर उनसे किनारा करने लगूँगी ,

किसी के मार्गदर्शन की आवश्यकता न होगी,खुद की शिक्षक खुद बन जाऊँगी। 

दिया लेकर जग को सुधारने का प्रयोजन त्याग ,स्वयं उस ज्योत से आलौकिक हो जाऊँगी,

जितनी उम्मीदें सबसे होती हैं ,अब उतनी खुद से करके देखूंगी । 

समाज सुधारक बनने से पहले अपने को सुधारने की प्रबल कुछ चेष्टा करुँगी ,

जग प्रतिनिधि बनने से पहले स्वयं का प्रतिनिधित्व करुँगी। 

हार जाऊं प्रयासों में भले ही पर हौसला अपना ना हारने दूंगी,

इस राह में चोट तो लगेगी , पर एक दिन चोटी पर पहुँचने का विश्वास दिल से ना जाने दूँगी।  

समाज तो मुझसे ,आपसे , हम सबसे मिल कर ही बना है ,

मैं उन्नत हुई तो संसार भी उन्नत्ति की राह पर अग्रसर हो ही जाएगा,

जो दिया मुझ में जलेगा, प्रेरणा-प्रतिबिम्ब बन कभी न कभी जग में जल ही जाएगा 

जैसे बूँद बूँद से सागर बनता है ,संसार में बदलाव स्वतः ही आ जायेगा . 

रोज़ रोज़ झकझोरता हुआ एक ख्याल जो ह्रदय में आता है बारम्बार 

जो हुआ ना पहले अब कुछ ऐसा हो कर रहेगा आज के वार , अब वो पूरा हो ही जाएगा ...



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational