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अनजान रसिक

Drama Classics Inspirational

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अनजान रसिक

Drama Classics Inspirational

क्या पीछे छूट गया ?

क्या पीछे छूट गया ?

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दफ़्तर के लिए 2 महीने के बच्चे को छोड़

घर से निकलती बहू को आवाज़ लगा के सांस ने जो पूछा कि

बेटी कुछ पीछे छूट तो नहीं गया,

बहु ने मन ही मन में दोहराया " अब तुम्हेँ क्या बताऊँ माँ, क्या कुछ पीछे छूट गया। "

सरहद के लिए रवाना हो रहे सिपाही ने जो पीछे मुड़कर दरवाजे की ओर देखा,

मुस्कुराते हुए बीवी ने पूछा कुछ भूल गए क्या,

माँ और बच्चों की तरफ लाचार नज़रों से ताकते हुए उस जांबाज़ ने कहा,"अब क्या बताऊँ तुम्हेँ, बस यूँ मानो मेरे प्राण और सम्पूर्ण जीवन ही पीछे छूट गया।"

शादी के समय दुल्हन के विदा होते ही हॉल साफ करते हुए नौकर ने दुल्हन के बाप से पूछा कि " बाबूजी कुछ पीछे छूट गया क्या "

बाबूजी रोते हुए बोले, " अब तुम्हेँ क्या बयां करूँ भैय्या, सारा जीवन जिस बेटी को एकमात्र धन समझ कर सींचा, उसको अपना नाम दिया, वो नाम ही आज सदा के लिए पीछे छूट गया।"

अंत्येष्टि के दौरान पिता को शमशान ले जा रहे पुत्र से किसी ने पूछा कि " कहो पुत्र, कुछ पीछे छूट गया क्या "

भारी मन से, दर्द में तड़पते बेटे ने धीमे से स्वर में बोला " वो पल जब पिता के मजबूत कांधों पर बैठ के दुनिया देखी थी, वो पल जब थाम के उनकी ऊँगली कदम रखने की चेष्टा की थी, साथ बिताये सब हंसी खुशी, दुख सुख के पल, सब तो पीछे, बहुत पीछे छूट गए, कैसे बयां करूँ लफ़्ज़ों में कि क्या कुछ नहीं पीछे छूट गया। "


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