STORYMIRROR

AMARJEET rana

Drama Inspirational

4  

AMARJEET rana

Drama Inspirational

लाइफ

लाइफ

1 min
40.7K


कितना कुछ सीख के

कुछ सीखा के चला हूँ,

आग नहीं

कोई अंगार ही सही

एक क़तरा ख़ुद को

बना के चला हूँ;


सबको याद रहूँ

ये है नहीं मुमकिन

मैं कई दिलो में

लेकिन जगह बना के चला हूँ;


जिगरी कहते हैं

मैं याद आऊँगा,

मैं जा रहा हूँ

ये बता के चला हूँ;


कुछ पाने के लिए

कुछ खोना पड़ता है

मैं कुछ नहीं बहुत कुछ

गवाँ के चला हूँ;


बहुत गुज़रीं हैं

खिले होंठों की यादें

कुछ संजीदा लम्हे

कुछ कोतुक की बातें

आशीष, सम्मान, मोहब्बत

और अदावत,

मैं सब यादों को

दिल में बसा के चला हूँ...।


Rate this content
Log in

More hindi poem from AMARJEET rana

Similar hindi poem from Drama