लाइफ
लाइफ
कितना कुछ सीख के
कुछ सीखा के चला हूँ,
आग नहीं
कोई अंगार ही सही
एक क़तरा ख़ुद को
बना के चला हूँ;
सबको याद रहूँ
ये है नहीं मुमकिन
मैं कई दिलो में
लेकिन जगह बना के चला हूँ;
जिगरी कहते हैं
मैं याद आऊँगा,
मैं जा रहा हूँ
ये बता के चला हूँ;
कुछ पाने के लिए
कुछ खोना पड़ता है
मैं कुछ नहीं बहुत कुछ
गवाँ के चला हूँ;
बहुत गुज़रीं हैं
खिले होंठों की यादें
कुछ संजीदा लम्हे
कुछ कोतुक की बातें
आशीष, सम्मान, मोहब्बत
और अदावत,
मैं सब यादों को
दिल में बसा के चला हूँ...।
