"आईने बेचारे"
"आईने बेचारे"
लोगों ने भीतर छिपा रखे है, चेहरे इतने सारे
अब भला क्या करेंगे हम जैसे आईने बेचारे
बहुत रोते है, बहुत ही बिलखते है, हम आईने,
कोई न समझता है, दुनिया में दुःख, दर्द हमारे
हम आईनों ने तो ज़ख्म खाये है, इतने सारे
लहूं से ज्यादा लाल हो गये है, जिगर हमारे
सच बताने की आदत से हुए हम तो बेसहारे
मासूमियत बचाते-बचाते घिस गये है, किनारे
अंदर और बाहर एक जैसे ही चेहरे है, हमारे
पर इंसानी फ़ितरतों से गर्दिश में है, हमारे सितारे
पर आजकल के इन इंसानों को देख-देखकर
कृत्रिम चेहरों के लिये लगा रहे, आईने भी कतारें
चेहरे पर चेहरे लगाने की कला में इंसान अच्छे है,
चेहरे पर चेहरे लगाने की कला में हम तो बच्चे है,
हम चेहरे पर चेहरा लगाने में बुरी तरह से है, हारे
हम आईने अकेले ही अच्छे लगते है, कुंवारे
हमें न चाहिए खुद को छोड़ दूसरों के सहारे
हम आईने खुदा के नेक बंदे है, बहुत ही प्यारे
मर जायेंगे पर कभी न तोड़ेंगे सादगी के सितारे
हम आईने अपने ही दम पर जाएंगे किनारे
अपना ही चेहरा रखेंगे, नहीं चाहिए हमें चेहरे पराये