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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Inspirational

"चमत्कार"

"चमत्कार"

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जीवन मे चमत्कार की उम्मीद छोड़ दो

खुद को कर्म पथ की ओर तुम मोड़ दो

मंजिल पाने के लिये,तुम अपनेआप को

स्वयं के मजबूत इरादों के ऊपर छोड़ दो

 जीवन मे यदि कामयाबी पाना चाहते हो

भीड़ से स्वयं को अलग बताना चाहते हो

सबसे पहले निराश सोच का गला घोंट दो

खुद को सबसे पहले आशावान ओज दो

 खुद को हालात के भरोसे छोड़ने से अच्छा खुद से लड़कर खुद को हिमालय जोश दो आज अंगारों पर खुद को शबनम होश दो अपनी ताकत,अपनी पहचान को खोज लो अपने आंसुओं को मोतियों जैसा मोल दो

इन्हें आज तुम फौलाद के जैसा बोल दो

ये आंसू बहे नही,बहे तो दुनिया रहे नहीं

आज इन आंसूओ से दरिया को शोक दो हालात,जमाने को नही,खुद को दोष दो

अपनी कमियों को समय रहते,रोक दो

अपनी कमजोरियों को शक्ति का लोक दो

आज भीतर अंधेरे को,रवि बनकर भोर दो चमत्कार कहीं बाहर नही,तेरे स्वयं अंदर है लोगो के तानों से प्रेरणा,तुम तो रोज लो चमत्कार करना,खुद को कर्मवीर बोल दो

आज फूलों से तुम,पत्थरों का दिल तोड़ दो

दिल से विजय

विजय कुमार पाराशर-"साखी"


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