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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy Inspirational

"गोवंश पर अत्याचार"

"गोवंश पर अत्याचार"

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"गोवंश पर अत्याचार"
गोवंश पर हो रहा बहुत ही अत्याचार
न मिल रहा चारा,न मिल रहा घरबार
वो कहां जाए गोवंश कर रहा,विचार
क्या ओर जीवन है,धरती के उसपार
उसका इंसानों से उठ गया,पूरा विश्वास
जब तक स्वार्थ था,देते थे उसे दुलार
खेतों में जब से आया,ट्रैक्टर व्यवहार
तब से इंसानों को लग रहा,गोवंश भार
 वाह रे इंसान क्या खूब रहा,तू ईमानदार
गर्ज निकली भूल गया,बरसों का प्यार
तुझसे से अच्छे,नही मुझमे स्वार्थ दाग
जबतक जीते,रहते स्वामी प्रति वफादार
 जब भी करता,कोई इंसान बुरा व्यवहार
तुम जानवर कहकर करते,मेरा अपमान
तुम से अच्छा समझते,दूसरों का सम्मान
जिसमें खाते है,उसमें नही करते छेद,हजार
 तुम स्वार्थी इतने,जितना खारा न पारावार
बेटी पैदा होते मारते,भ्रूण हत्या करते,हजार जबकि बछड़ी को करते दूध स्वार्थवश प्यार बेटों को करते दुलार,गोवंश क्यों देते,दुत्कार
 पर ध्यान रहे,सबके कर्मों का होता हिसाब एकदिन उठेगा,इंसानों एक ऐसा इंकलाब
हम भी जागेंगे,पढ़ेंगे-लिखेंगे,कानूनी किताब तुम्हारी रूह काँपेगी,गोवंश देंगे,तुम्हे जवाब सुनो इंसानों,गोवंश नही,कमजोर,लाचार
हमारे पास तुम से ज्यादा,ताकत बेशुमार वफादारी के कारण हम गोवंश है,चुपचाप अन्यथा हमारे पास ऐसे सींग,जैसे तलवार
बन जाओ इंसानों वक्त रहते,समझदार
करते रहो,इंसानों नित ही तुम परोपकार
अच्छे कर्म बनाते,तुम्हे इंसान समझदार
नही तो तुम हो भू पर बेमतलब का भार
 दुनिया मे कौई व्यर्थ नही,सब रब चमत्कार सबका कोई न कोई उपयोग,कोई न बेकार
जब तक जिस्म में जान,गोवंश मानेगें न हार लड़ेंगे ओर लड़ेंगे,लेकर रहेंगे अपना अधिकार वर्तमान सरकार को धन्यवाद,कर रही सुधार जिसके पास होंगे गोवंश,पैसे देगी 30 हजार देकर पैसा लोगों को,कर रही हम पर उपकार लोग रखेंगे हमारा ध्यान,हम देंगे,दुआएं बेशुमार दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"


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