पर तुम अडिग थे, थे निडर, निष्पक्ष धरा के मार्ग पर। माँ का शहज़ादा-दुलारा, ओझल हुआ, घर पार कर। पर तुम अडिग थे, थे निडर, निष्पक्ष धरा के मार्ग पर। माँ का शहज़ादा-दुलारा, ओझल...
सादगी से जीकर देखो असली सुकून पाओ। सादगी से जीकर देखो असली सुकून पाओ।
मेरे हाथ धन्य हैं तेरा मर्म स्पर्श पाकर कि आज चूम लूं अपने ही हाथों को। मेरे हाथ धन्य हैं तेरा मर्म स्पर्श पाकर कि आज चूम लूं अपने ही हाथों को।
अपने भी जब छोड़ चले अपना गैरों को होते देखा हैI अपने भी जब छोड़ चले अपना गैरों को होते देखा हैI
हमारी सादगी हमारी सजा बन गयी फूल भी मिले तो काँटें की तरह हम खुशबू लुटाते रहे उम्र भर मन प्यासा र... हमारी सादगी हमारी सजा बन गयी फूल भी मिले तो काँटें की तरह हम खुशबू लुटाते रहे ...
उसकी जगह पर सजा लिया तूने अपना घर, परंतु क्या-क्या नहीं दिया उसने तुझे अपना क्यों ना सोचा तू ... उसकी जगह पर सजा लिया तूने अपना घर, परंतु क्या-क्या नहीं दिया उसने तुझे अपना ...