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dr vandna Sharma

Drama Tragedy

5.0  

dr vandna Sharma

Drama Tragedy

हमारी सादगी

हमारी सादगी

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हमारी सादगी हमारी सजा बन गयी

फूल भी मिले तो काँटें की तरह

हम खुशबू लुटाते रहे उम्र भर

मन प्यासा रहा सागर की तरह।


सबको अपनाया आगे बढ़कर

सबने छला गैरों की तरह

भरोसा करने की सोचे भी कैसे

देखा है सपनों को टूटते हुए काँच की तरह।


शिकायत किसी से करें भी क्या

अपने भी मिलते हैं यहाँ गैरों की तरह

फूल गिला भी क्या करे

जब माली ही तोड़ दे तिनके की तरह।


नदी मिलने को आतुर है सागर से

चाँदनी मिलती है चकोर से जिस तरह

पिघलती है मोम लौ जलाये रखने के लिए

जलती है बाती दीपक की जिस तरह।।


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