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dr vandna Sharma

Abstract

4.5  

dr vandna Sharma

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कैसा खालीपन है

कैसा खालीपन है

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कैसा खालीपन है यह

कैसा खालीपन है


सब कुछ है पर कुछ कमी है

सब साथ हैं फिर भी अकेलापन है

कैसा खालीपन है यह

कैसा खालीपन है


क्या चाहता है मन

यह भी समझ से परे है

किस खुशी के लिए व्याकुल

किसके लिए इतना आतुर है


कोरोना ने सीमित कर दिए दायरे

सभी अपने लगे लगने लगे

बेगाने कैसा खालीपन है यह

कैसा खालीपन है


ना रोने का कारण है

ना हंसने की वजह

ना किसी का इंतजार

ना महफिल की व्यस्तता


क्यों खोई हंसी है

किस बात से डरी हैउमंग

द्वार पर खड़ी है

फिर भी कैसा खालीपन है

यह कैसा खालीपन है।


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