Ruchika Rai

Abstract

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Ruchika Rai

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फरवरी की यादें

फरवरी की यादें

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गुलाबियत से भरपूर ये फरवरी की सुहानी यादें,

लेकर आती है मन में कसक कुछ अधूरे जज़्बातें,

कल्पना के उन्मुक्त गगन में उमंग के संग,

स्वप्न सुहाने और मन की मन से होती हैं बातें।


प्रेम और स्नेह रस में भींगा ख़्वाबों का पुलिंदा,

सरगोशियां कानों में गूँजती हो जाती शर्मिंदा,

खिलखिलाती हँसी जिंदगी से भरपूर चेहरे पर,

स्वयं को पाती ख़्वाबों के शहर की बाशिंदा।


हर तरफ जिंदगी दिखती यारी दोस्ती प्रेम संग,

खुशी से नाच उठता है मेरा ये मचलता अंग,

खुद को भी यकीन नही होता ये कैसी धुन है

जिसमें थिरकता है मन रंग गया प्रेम के रंग।


ये फरवरी यादों के पैरहन में रचा और बसा,

खींचता है मुझे जिंदगी की ओर ही सदा,

कभी मेरी कलम को मान दिलाता है ये,

कभी मेरे जज्बातों का असर मेरे लेखन पर पड़ा।


बसंती हवा की बसंती रंग में रंगा है ये मन,

देखता है जीवन को एक नए नजरिये के संग,

प्रेम बिन जीवन की कल्पना बेमानी सी लगती अब,

प्रेम हर रिश्तों से जुड़ा दिखलाता है भर उमंग।


फरवरी जीवन के डायरी में ऐसे तू बसना,

जैसे मन में बसा हो एक मीठा सुहाना सपना,

पलट कर जब भी देखूं तुझे मैं जीवन में,

बरबस आ जाये मुस्कान चेहरे पर लगे अपना।


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