Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

dr vandna Sharma

Classics

4.0  

dr vandna Sharma

Classics

हरयाली तीज

हरयाली तीज

1 min
159


सावन का महीना ,बारिश की फुहार 

सखियों का संग ,ठंडी ठंडी चले बयार 

वो अमिया की डाली में पड़े झूले 

वो लोकगीतों की नटखट मस्ती 

घेवर की महक ,गुझियों का स्वाद 

वो मेहँदी भरे हाथ ,वो सोलह श्रृंगार 

हरी चूड़ियों की खन खन 

पायलिया की छन छन ,उस पर 

पीहर में बरसता बाबुल का प्यार 

कुछ ऐसा था बरसो पहले 

हमारा प्यारा तीज का त्यौहार 

वक़्त ने ली ऐसी अंगराई 

कैसी चली हाय पुरवाई 

ये कहाँ आ गए हम 

ना सखियों का संग 

ना अमिया के झूले

इस आधुनिकता ने तो 

सारे सुख हमसे छीने 

माई तेरा आँगन बहुत याद आता है 

बाबुल तेरा दुलार बहुत याद आता है 

वो मायके की नटखट तीज याद आती है 

सखियों का चिढ़ाना ,हरियाली गाना 

ज़िंदगी की दौड़ में छूट गया 

बहुत कुछ पीछे

वो बरसात ,वो सावन 

माँ तेरा आंचल 

बहुत याद आता है!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics