परियों की कहानी
परियों की कहानी
सफेद घोड़ा , उस पर एक राजकुमार
सुंदर सी सजी मैं और मेरा सफल जीवन
मां ने सुनाई थी बचपन में
एक परियों कि कहानी
घोड़ा भी सफेद था और में भी सजी थी
पर ना तो वोह एक राजकुमार था
नहीं मेरा जीवन सफल,
वह तो बस खाली नोटों की बाज़ी थी
हसो गुड़िया शादी है तुम्हारी, नानी ने बड़े प्यार से बोला
चांद सी बहुरानी हमारी, सासू ने घूंघट खोला
पर किसीने ये ना बताया
चूड़ी जनगं कूला चौका चीन लेगा आजादी तुम्हारी
गुफ्तगू भी धीमे आवाज़ में
मार भी करो सेहें, नारी का जीवन सीमित है
बोले मेरी बड़ी बहन
सोने का महल नहीं रसोई का धुंआ
खुशनुमा सवेरा नहीं कड़वाहट का बसेरा
आधी सुजी आंख से निहारी अपने चांद के टुकड़े को भी
डालो दुपट्टा कदम हो पीछे
बोले मेरे हमसफ़र की बुआ
हमसफ़र है या टूटे रिश्तों का भंवर है
धस्ते ही जारही हूं इसमें में बनकर एक दुखद कहानी
बचपन में मां ने सुनाई थी
एक परियों की कहानी।।
