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Bhavna Thaker

Tragedy

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Bhavna Thaker

Tragedy

आकर्षण

आकर्षण

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आँखों की पुतलीयों को भा जाता है कोई

उसे पाने को दिल मचल उठता है तड़प उठता है,

तब आकर्षण को इश्क के नाम की

नवाजिश की मोहर लगा लेते है लोग..!


मिल जाता है आकर्षण के बदले तन

तमन्नाएँ पूरी होते ही बहल जाता है दिल,

तुष्टीकरण धीरे-धीरे ड़कार ले लेता है,

जो पाने को बेकरार थे कभी

आज आँखें मिलाने से कतराते है..!


भूखे भेड़िए क्या जाने अमलतास की खुश्बू

वो रंगत इश्क की सदियों तक जवाँ रहती है,

जो अहसास दिल से निकलते है

उसे जिस्म की चाह नहीं होती..!


जिस्म की तड़प को पाक प्रेम की लज़्ज़त

का नाम देकर नारी के देह को कलंकित

बनाते है कुछ इंसान,नहीं सोचते कोमल हदय का अंजाम..!


कलियुग के राक्षसों की सोच

नारी देह की भूगोल की परिधि नापती है,

दिल के इतिहास को पढ़े कभी

एक सुंदर जहाँ बसता है प्यार का

जिसे पाकर कभी मन नहीं भरेगा।


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