शहादत
शहादत
शहीद की शहादत पे मुझे आज नाज़ करने दो
इल्तज़ा यही ज़रा युद्ध का आगाज़ करने दो
खून के आँसू रो रहे है आज अनेक परिवार तब
ख़ुशियाँ सारी आज मुझे नज़र अंदाज़ करने दो
दरिंदगी की हो गई इंतहा कब तक सहन करेंगे
मुझे शहादत के सजदे में अदा नमाज़ करने दो।
नतमस्तक माँ माँगे इंसाफ़ युवा धन के खून का
छूट देकर सेना को अब ऊँची आवाज़ करने दो
घुस कर घर में कुचल डालो अब आतंकी की नींव
जवाब दो करारा उनके मनसूबे नासाज़ करने दो
बहुत रुलाया माँ, बाप, पत्नी से सिंदूर छीन लिया
काट के पर इनके अब जमीं पे परदाज़ करने दो।
कब तक यूँही जलाते रहेंगे मोमबत्ती हम भावना
फौज़ी को भी इनके ख़िलाफ़ जालसाज़ करने दो