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Bhavna Thaker

Others

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Bhavna Thaker

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यादों का सफ़र

यादों का सफ़र

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यादों की तेज़ धूप की शाख पे बैठे

तन्हाई को शेका है मैंने 

इंतज़ार की आँच बड़ी बेतूकी निकली 

जलाए जा रही #है


नींद में डूबी महकती आँखों पर 

रख गए तुम अपने यादों की बस्ती  

उफ्फ़ तुम्हारी बादामी आँखें

जो ठहरी रहती थी हंमेशा मेरे रुख़सार पर


चाँद के चेहरे में नज़र आती है आज

देखो खिड़की से झाँकता चाँद 

उपहास की अटखेलीयों पे उतर आया


लो मैं फिर से रो पड़ी 

तुम्हारी ऊँगली के पोरे को #याद किया 

जो हंमेशा 

मेरी लट को सँवारने में उलझी रहती थी 


तुम ठहर जाओ ना मेरी रूह के अंदर 

यूँ कब तक यादों का #सफ़र करती रहूँ।



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