एकान्त
एकान्त
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शांत झरोखा, एक कप कॉफ़ी
आराम कुर्सी, मंद समीर
ये एकान्त के लम्हें बोझिल नहीं..!
महत्वहीन मुद्दों से परे
आत्मा से वार्तालाप की गुंजाइश है
खुद में खुद को ढूँढने की क्रिया
बेदख़ल मुमकिन है..!
हाँ चंद लम्हों के एकान्त में
भीतरी खोदकाम से
सदियों से दबे पूरे इतिहास की खोज का
सर्जन कर सकता है मन
अपनी इच्छुक धरा पे अपने सपनो का
महल खड़ा करके..!
माहौल ढूँढते मन को
मुलाकात की जरुरत है एकान्त से
ज़िंदगी की आपाधापी में
लुटाए हुए अनमोल क्षण पर
कब्ज़ा पाने का सुनहरा मौका है
मिलिए कभी एकान्त से..