स्वतंत्रता का सपना
स्वतंत्रता का सपना
बालपन के मन में गूंजे
स्वतंत्रता की शहनाई
आओ समझाए अपनी लघु पीढ़ी को
स्वतंत्रता की गहराई
हाथ छुड़ाकर मां का मेले में
झूले झूलने जाना
बाप के कंधे से उतरकर
सेब तोड़ने जाना
बहुत दूर स्वतंत्रता कि सीढ़ी
इन बच्चों कि बातों से
पाने को स्वाधीनता जूझना पड़ता है
जीवन के रिश्तों नातों से
मिले यह सौगात उसे
जो ज़िम्मेदारियों का बोझ उठाए
तापे खुद को जो सोने सा
चन्द्रमा सी शीतलता पाए
अपना जीवन, जीवन बनाए
ना रखे कोई उधार
मेल मिलाप से तराशे खुद को
अपने संग सबका जीवन सुधार
स्वतंत्रता साथी है उसकी
जो हिम्मत का साथ निभाए
लक्ष्य भेदें अर्जुन सा, राम सा चरित्र पाए।