रैन का ख्वाब दिन में
रैन का ख्वाब दिन में
रात को गहरी नींद में डूबे
आंखों को मूंदे, एक ख्वाब देखा
उस ख्वाब में मेरे हाथों को थामे
मेरे संग मैंने तुझको देखा
निहार रहे थे दोनों एक गिरी को
उस गिरी की एक शीला पर बनता
अपना घरौंदा मैंने देखा
रात की बदली करवट में
एक ख्वाब मैंने देखा
खुला बाग चहचहाहट के साथ
झूले पर बैठी मेरी रोशन आंखें
और काया डूबी उज्ज्वलता में
सूरजमुखी की पंखुड़ियों को मैंने देखा
रात की ठंडी कम्पन में
एक ख्वाब मैंने देखा
रुकी हुई मैं एक किनारे पर
खाई की गहराई निहारी
बढ़ती धड़कन उठती कम्पन में
अपने मन के भय को देखा
एक ख्वाब देखा है दिन में
खुली आंखों से जीवन का
रातों के अच्छे सपनों को संजोने का
बुरे ख्वाब मिटाने का
अपना जीवन सफल बनाने का।