माथे की धूल
माथे की धूल
पाथर से ठोकर खाकर
करे जो तू घुटने खड़े
धूल को माथे लगाए
कदम उठाए जो तू बड़े
धूल के कणों पर छोड़ तू अपने निशान
संग ना होगा कोई तेरे
श्रम में रातों सवेरे
तेरे पसीने की बूंद, तेरे हाथों की लकीरें
करेंगी तेरी सफलता बयां
लडखडाए तेरे कदम
निः संकोच टूटेगा हर कदम
ज्वाला तेरे अस्तित्व की
जिताए तुझे रण भी जवान
गहरा समन्दर टूटी नाव
,बंजर ज़मीन , तू नंगे पाव
बोते चल बीज ती किस्मत के
खिलेगी ज़मीन बनकर गुलिस्तां
तेरा परिचय तेरी मेहनत
उठा आवाज़ जो ना तू सहमत
तेरी शक्ति तेरा विश्वास
दृष्टि तेरी तेरे विचार
रूप रंग पाछ ए खड़े
तेरे विचार तेरी ज़ुबान
तराशे तुझमें एक बलवान।।