***बेटी***
***बेटी***
लक्ष्मी होती है बेटियां
दुर्गा होती है बेटियां
न्यारी होती है बेटियां
प्यारी होती है बेटियां
फिर क्यों? कोख में ही मारी जाती है बेटियां
खाना बनाकर खिलाती है बेटियां
चाय बनाकर पिलाती है बेटियां
सुबह-शाम झाड़ू लगाती है बेटियां
प्रत्येक काम में हाथ बटाती है बेटियां
फिर क्यों?फटकारी जाती है बेटियां
दोनों कुलों का भार ढोती है बेटियां
सबका नाज रखती है बेटियां
अपमान की घूंट पीकर जीती है बेटियां
ताने सुनकर भी चुप रह जाती है बेटियां
फिर क्यों? यहां रूलाती जाती है बेटियां।
