***सवाल***
***सवाल***
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सवालों पर सवाल है
बात बात पर बवाल है
कोई कहता कांटा तो
कोई कहता गुलाब है
चारों ओर फैंका
नेताओं की मायावी जाल है
बजाता अपना गाल
बीत गए सालों-साल है
नहीं पुछते जनता की हाल
सिर्फ अपनों का ही ख्याल है।
