Rohit Kumar Yadav
Romance
मादक हुए महुआ
फूल गया पलाश
कोयल की मधुर कुक
प्रकृति का निखरता रुप
मन में उमंग नव तरंग
फड़कत....…अंग -अंग
अब चढ़ल फागुन का रंग।
***बेटी***
अमर शहीद
***होली***
फागुन का रंग
***वीर जवान च...
***अपना हिन्द...
***सवाल***
***भारत***
***बसंत का बय...
तकिये से पूछो बारिश में मैं कितना अश्क बहाया था ! तकिये से पूछो बारिश में मैं कितना अश्क बहाया था !
तुम्हारी आहट पर मुझे कुछ पूर्णता का आभास तो हो। तुम्हारी आहट पर मुझे कुछ पूर्णता का आभास तो हो।
लड़का हूँ न allowed नहींं है आजकल के बाजार में। लड़का हूँ न allowed नहींं है आजकल के बाजार में।
तुम जाते जाते ले गये.. मुझसे मेरी साँझ की तसल्ली.. तुम जाते जाते ले गये.. मुझसे मेरी साँझ की तसल्ली..
बस तुम यूं ही आ जाना...। बस तुम यूं ही आ जाना...।
नफरतों का हो कैसा भी आलम ऋषभ प्रेम नफरत में चाहत को भर जायेगा नफरतों का हो कैसा भी आलम ऋषभ प्रेम नफरत में चाहत को भर जायेगा
तूने छुआ जो रूह आ गई तो मुझे खुद से भी प्यार है। तूने छुआ जो रूह आ गई तो मुझे खुद से भी प्यार है।
एक गीत अपनी मोहोब्बत के लिए।। एक गीत अपनी मोहोब्बत के लिए।।
पर ये मुममिन नहीं और इसी तन्हाई में गुमसुन अकेला बैठा मैं। पर ये मुममिन नहीं और इसी तन्हाई में गुमसुन अकेला बैठा मैं।
मैं बन जाती थी आसमान, वो तारा बनकर मुझमें बिखर जाता था... मैं बन जाती थी आसमान, वो तारा बनकर मुझमें बिखर जाता था...
पात पात प्रतीति परिभाषित, है तुम बिन फागुन अभिशापित। पात पात प्रतीति परिभाषित, है तुम बिन फागुन अभिशापित।
उदासियों का कर के आलिंगन, ले लो सुबह सवेरे अंगड़ाई। उदासियों का कर के आलिंगन, ले लो सुबह सवेरे अंगड़ाई।
वह कहानियाँ कहता था…मैं कहानियाँ सुनती थी… उसे व्हाईट रंग पसंद था और मुझे ब्लैक… वह कहानियाँ कहता था…मैं कहानियाँ सुनती थी… उसे व्हाईट रंग पसंद था और मुझे ब्लैक...
वो आज भी ख्वाबों में आता है!! जगाकर नींद से, यादों के भँवर में फँसा जाता है वो आज भी ख्वाबों में आता है!! जगाकर नींद से, यादों के भँवर में फँसा जाता ह...
तुम्हारे अंदर वो तमाम रद्द-ओ-बदल जो तुमने सिर्फ़ मेरे लिए किये उनका आभार जता सकूँ मै तुम्हारे अंदर वो तमाम रद्द-ओ-बदल जो तुमने सिर्फ़ मेरे लिए किये उनका आभार ...
गिनना चाहती हूँ तारों को मैं, चाँद पर बैठना चाहती हूँ, थोड़ी देर... गिनना चाहती हूँ तारों को मैं, चाँद पर बैठना चाहती हूँ, थोड़ी देर...
मैं मचलती हूँ सात सुर-सी बजती वीणा-सी, कोई नश्तर नहीं मेरे वज़ूद के आसपास... मैं मचलती हूँ सात सुर-सी बजती वीणा-सी, कोई नश्तर नहीं मेरे वज़ूद के आसपास...
बेशक तुम मत आना... बस कह देना की आऊंगा। बेशक तुम मत आना... बस कह देना की आऊंगा।
थोड़ी सी ख़ामोशी मुझे है स्वीकार ... अतिशयोक्ति में डूबा हुआ नहीं चाहिए प्यार ! थोड़ी सी ख़ामोशी मुझे है स्वीकार ... अतिशयोक्ति में डूबा हुआ नहीं चाहिए प्यार !
चलो हम-तुम फिर बैठ के सुबह की चाय एक साथ पीते हैं। चलो हम-तुम फिर बैठ के सुबह की चाय एक साथ पीते हैं।