धरा ने देखो अद्भुत शृंगार किया है अहा ! बसंत का देखो पीत दर्पण। धरा ने देखो अद्भुत शृंगार किया है अहा ! बसंत का देखो पीत दर्पण।
आता हूँ रोज पास तुम्हारे मिलन की आस में। आता हूँ रोज पास तुम्हारे मिलन की आस में।
एक अहसास की अनुभूति को करके महसूस आता हूँ रोज पास तुम्हारे , तभी, हवा का तेज झोंका महसूस करता... एक अहसास की अनुभूति को करके महसूस आता हूँ रोज पास तुम्हारे , तभी, हवा का ...
बैठा खुद को सहारा दिए खुद जो तेरे साथ अब भी नहीं पता। बैठा खुद को सहारा दिए खुद जो तेरे साथ अब भी नहीं पता।
दिल की बात नयनों में सजाकर खेलूगी तुम संग रंगों से प्रेम की होली। दिल की बात नयनों में सजाकर खेलूगी तुम संग रंगों से प्रेम की होली।
जहाँ न ज़रा की छाया है, जहाँ न रोग की माया है, जहाँ न ज़रा की छाया है, जहाँ न रोग की माया है,