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Chandra prabha Kumar

Fantasy

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Chandra prabha Kumar

Fantasy

मधुर पल

मधुर पल

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  ये मधुर मधुर क्षण,

   ये स्वप्निल पल,

   किस अनजाने देश में

   ले जाते मुझको। 


        जहाँ न ज़रा की छाया है,

        जहाँ न रोग की माया है,

        जहाँ न कड़वा बोल है ,

        जहाँ न अपराध बोध है। 


 जहाँ न पश्चात्ताप की छाया है ,

 जहाँ न अतीत का स्मरण है ,

 जहाँ सब कुछ सुन्दर सुभग है,

 जहॉं सब कुछ मादक मधुमय है ।


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