मधुर पल
मधुर पल
ये मधुर मधुर क्षण,
ये स्वप्निल पल,
किस अनजाने देश में
ले जाते मुझको।
जहाँ न ज़रा की छाया है,
जहाँ न रोग की माया है,
जहाँ न कड़वा बोल है ,
जहाँ न अपराध बोध है।
जहाँ न पश्चात्ताप की छाया है ,
जहाँ न अतीत का स्मरण है ,
जहाँ सब कुछ सुन्दर सुभग है,
जहॉं सब कुछ मादक मधुमय है ।