Krishna Bansal

Fantasy Inspirational

4.5  

Krishna Bansal

Fantasy Inspirational

प्रसन्नता

प्रसन्नता

2 mins
620


एक दिन 

मेरे सहकर्मी ने कहा 

वे हमेशा खुश रहते हैं 

उनके अन्तर्मन में सदैव 

प्रसन्नता की लहरें दौड़ती हैं।

 

'कैसे?' मेरा प्रश्न था।

 

जब मैं सुबह उठता हूं 

आंख खोलता हूं 

प्रसन्नता से भर जाता हूँ

'मैं जीवित हूं'

मेरी पांचों कर्मेंद्रियां

पांचों ज्ञानेंद्रियां 

सजग हैं

सही सलामत हैं 

यही विचार काफी है 

मुझे प्रसन्न करने के लिए। 


मुझे एक दिन और मिला 

इस संसार का 

हिस्सा बनने के लिए। 


नित्य प्रात: काल क्रियाओं से 

मुक्त होकर 

मैं प्रातः भ्रमण के लिए निकलता हूं

हर प्राकृतिक दृश्य को 

पर्वतों की हरियाली 

झर झर बहता झरना 

छोटी-छोटी पगडंडियां

प्यारी सी कूहल

खेतों में हरी भरी गेहूं 

पेड़ों पर लगे फल और फूल 

सभी मुझे आकर्षित करते हैं। 


साइकिल पर 

दूध ले जाते दोधी 

बसंत में कूकती कोयल 

शांत वातावरण 

ठंडी ठंडी बयार 

चोगा चुगती चिड़िया

जीवन का संदेश देता हुआ 

घास पर उगा छोटा सा फूल 

इतना ही काफी है 

मुझे प्रसन्न करने को।


यह नहीं कि 

मुझे कोई तनाव नहीं 

संघर्ष नहीं 

दुःख या कष्ट नहीं 

यह सब तो जीवन के 

ताने-बाने में हैं।


मैं धन्यवाद देता हूँ 

उन सबको, जिनके कारण 

ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हुईं और

मैं उन्हें सुलझाने की 

क्षमता पैदा कर सका।


नित नई समस्या का अर्थ 

आपके जीवन में 

कुछ तो घट रहा है 

और यह एक अच्छा संदेश है।


रात्रि में सब का 

साधुवाद करता हूं 

जिनके कारण आज का

मेरा दिन अच्छा बीता।


बस यही राज़ है 

मेरी प्रसन्नता का।


सबकी मदद करने के लिए 

तत्पर रहता हूँ 

किसी से अपनी तुलना नहीं करता

भूत का अपराध बोध नहीं 

भविष्य की चिंता नहीं 

आशा-निराशा में नहीं

झूलता वर्तमान में जीता हूं। 

अप्रसन्नता का कोई कारण 

बनने ही नहीं देता।

 

इतना ही काफी है 

मुझे प्रसन्न करने को।


मैं निरुत्तर थी।

सोचने लगी हम 

हम ऐसा क्यों नहीं कर पाते।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy