सहती हर कष्ट, मां कभी नहीं कहती मां कभी नहीं थकती। सहती हर कष्ट, मां कभी नहीं कहती मां कभी नहीं थकती।
छिटक जाती है हाथों से कभी फिर दौड़ कर थाम लेता हूँ छिटक जाती है हाथों से कभी फिर दौड़ कर थाम लेता हूँ
न सत्य असत्य, न हित परहित, निज संस्कृति हम दे रहे छोड़। न सत्य असत्य, न हित परहित, निज संस्कृति हम दे रहे छोड़।
विचारों से लेकर अचारों तक, हर चीज़ में मिलावट है। विचारों से लेकर अचारों तक, हर चीज़ में मिलावट है।
जिस दिन हम मेहनतकश चैन की नींद सोये रहते हैं ! जिस दिन हम मेहनतकश चैन की नींद सोये रहते हैं !
उस एक पल के प्रश्चित में ताऊम्र गंवा देते हैं। उस एक पल के प्रश्चित में ताऊम्र गंवा देते हैं।