आ बैल मुझे मार
आ बैल मुझे मार
वर्तमान में प्रायः युवा वर्ग,
नशे के हो जा रहे शिकार।
शनैः शनैः यह विकृति,
कर देती जीवन लाचार।
दुष्परिणाम का ज्ञान भी है,
फिर भी नशे से न करते इंकार।
ख़ुद ही फँसते चले जाते,
इसे हम कहें "आ बैल मुझे मार"।
आजकल समाज में हम,
दिखावे पर दे रहे हैं जोर।
भौतिक सुख सम्पन्नता का,
जीवन में मचा हुआ है शोर।
आय से अधिक है व्यय हमारा,
हो जाते हैं अक्सर उधार।
आर्थिक असंतुलन दे हमें तनाव,
इसे हम कहें "आ बैल मुझे मार"।
भौतिकवादी युग में सभी को,
आगे बढ़ने की मची है होड़।
न सत्य असत्य, न हित परहित,
निज संस्कृति हम दे रहे छोड़।
हम सब पश्चिमी सभ्यता का,
जीवन में कर रहे व्यवहार।
जो समाज को करता दूषित,
इसे हम कहें "आ बैल मुझे मार।