'बसंत ऋतु में प्यार'
'बसंत ऋतु में प्यार'
बसंत ऋतु में होने लगता,
प्यार का सुखद एहसास।
चहुँओर दिखती हरियाली,
मन में जगती है नव आस।।
वृक्ष ढँकते नव पल्लव से,
फूल मधुर महक फैलाएं।
खेत में सरसों के पीले फूल,
आम बौरों से लद जाएं।।
प्रकृति की छँटा निराली,
प्रीत की बहती है बयार।
मन उड़ता है पतंग जैसा,
मीत मिलन को बेकरार।।
वातावरण महक उठता,
प्रेमिकाएँ करें ख़ूब श्रृंगार।
मिलने को बेताब है दिल,
आने वाली हो जैसे बहार।।
पेड़ों पर कोयलिया गाए,
दिल हो जाता है अधीर।
नई उमंग व नई उठे तरंग,
बस में न रहता है शरीर ।