जब बसंत ऋतु आए
जब बसंत ऋतु आए
जब ऋतुराज बसंत आएँ,
मंद मंद मन मेरा मुस्काए।
वातावरण में भीनी ख़ुश्बू,
मन मेरा गीत गुनगुनाए।
सर्दियों का होता जबअन्त,
अब आ जाओ तुम बसंत।
पेड़ पौधें ख़ूब हो हरे भरे,
प्रकृति की शोभा अनंत।
प्रीत की होती शुरु कहानी,
आती बसंत ऋतु मस्तानी।
मस्त पवन का झोंका आए,
चाँद रात हो जाती दीवानी।
भवँरें फूलों पर आ मंडराते,
चिड़िया चहके गीत सुनाते,
अलौकिक आनंद अनुभूति,
आँखों से हम प्रीत जताते।
ख़त्म हो रहे अब तो पतझर,
बसंत आई मौसम है सुंदर।
कोयल बोले अब डाली पर,
ऋतुराज बसंत है श्रेयस्कर।