'सच में प्यार'
'सच में प्यार'
मुहब्बत उसकी आँखों में,
दिखाई हरपल ही देती है।
चाहती शिद्दत से मुझको,
मगर वह कह न पाती है।
मेरी नज़रें मिले उससे,
सदैव वह मुस्कराती है।
कभी वह बात करती है,
कभी तकरार करती है।
वह साँसों में बसी है मेरे,
कभी वह रूठ जाती है।
ये सिलसिला चलता रहा,
मगर वह प्यार करती है।
उसका प्रीत है अविरल,
उसका प्रेम है निश्छल।
प्रीत की जब मैं दूँ अर्जी,
हँस कर भाग जाती है।
अक़्सर ख़्वाब में आकर,
वह गीतों को गुनगुनाती है।
रागों का थाप देकर वह,
रात में मुझको सुलाती है।
उसकी मासूमियत है ऐसी,
फ़िदा मैं उस पर रहता हूँ।
दिल से चाहता हूँ उसको,
सच में उसे प्यार करता हूँ।

