तुम ही हो प्रेरणा मेरी
तुम ही हो प्रेरणा मेरी
तुझे फूलों से ढक दूंगा
तुझे टीका लगाऊंगा
तुम ही हो प्रेरणा मेरी
मैं फिर से मिलने आऊंगा।
तुम्हारी याद में अब तक
मेरा जीवन ये चलता है
जो तू थोड़ा परेशां हो
मुझे सब खाली लगता है
तेरी उम्मीद में हमदम
मैं एक मंदिर बनाऊंगा
जो तू दुनिया से जाएगा
तेरे संग मैं भी जाऊंगा
तुम ही हो प्रेरणा मेरी
मैं फिर से मिलने आऊंगा।
कभी मैं गीत लिखता हूँ
कभी मैं पढ़ने जाता हूँ
तुम्हे जैसा समझ आऊं
वही मैं बनना चाहता हूँ
तुम्हारे संग खड़े हो कर
मेरा जीवन खिलेगा खुद
अभी तो बस है इतना ही
मैं आगे तब बताऊंगा
तुम ही हो प्रेरणा मेरी
मैं फिर से मिलने आऊंगा।
नही मुझको पता है कि
तेरा दिल क्या समझता है
तू अब तक है अकेला क्यू
क्या तू भी आहें भरता है?
भले तू मुझको चाहे ना
मुझे फिर भी उम्मीदें हैं
तू बस मुस्का दे मुझको देख
मैं नगमे तेरे गाऊंगा
तुम ही हो प्रेरणा मेरी
मैं फिर से मिलने आऊंगा।
कभी तो देख मुझको भी
कभी मुझसे भी आ के मिल
कभी तो गुनगुना संग मैं
कभी दिल का ये कपड़ा सिल
कभी तो दिल मिला मुझसे
मैं तुझपे सब लुटाऊंगा
तेरा बस प्यार पाने को
मैं मीरा भी हो जाऊंगा
तुम ही हो प्रेरणा मेरी
मैं फिर से मिलने आऊंगा।