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Manisha Wandhare

Abstract Romance

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Manisha Wandhare

Abstract Romance

यूँ खामोशियों से चले थे ...

यूँ खामोशियों से चले थे ...

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यूँ खामोशियों से चले है ,

दिल टूटा है मगर आह तक नहीं ,

रो रहा है दिल जोर जोर से मगर ,

एहसास तुम्हें भी नहीं ...

जब मिले थे हम बहारें थी ,

दिल की गलीयां खिलखिलाई थी ,

आँखों में निंद नहीं पर गीत गुनगुनाती ,

सुबह और बेकरारी में सांझ थी ...

कभी चाँद कह देते थे तुम्हें,

और चाँद में तुम्हें देखते थे ,

रात की तन्हाई बाँहों में भर लेते थे,

काटे कैसे ये दिन सवाल करते थे ...

ये क्या हो गया सवाल जवाब बन गया ,

तुम्हारे बीना जीना है लेकिन ,

सांसो पे एहसान तेरा नाम हो गया ,

तू नहीं फिर भी तू है मुझमें ,तन्हाई में ,

जुदाई में,

इल्जामों में ,

हालातों में ...

यूँ खामोशियों से चलें है ...



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