हे ! सैनिक महान हो तुम
हे ! सैनिक महान हो तुम


हे ! सैनिक महान हो तुम
भारत माँ की शान हो तुम
दुश्मनो के लिए चट्टान हो तुम
हमवतनों का अभिमान हो तुम।
हे ! सैनिक महान हो तुम
तुम हो तो चमन में बहार है
तुम हो तो वतन गुलज़ार है
तुम हो तो शत्रु सरहद के उस पार है
तुम हो तो वतन में प्यार है।
हे ! सैनिक महान हो तुम
वतन के चारो दिशाओं में तुम हो
पूरब में भी तुम हो, पश्चिम भी तुम हो
उत्तर में भी तुम हो, दक्षिण में भी तुम हो
थल पर भी तुम हो, जल में भी तुम हो
वायु में भी तुम हो, सीमाओं पर भी तुम हो।
हे ! सैनिक महान हो तुम
सियाचिन के सर्द हवाओं में, छाती ताने खड़े भी तुम हो
रेगिस्तान के गर्म फ़िज़ाओं में, चट्टानों सा डटे हुए भी तुम हो
आसाम के घने जंगलो में,
बुलंद हौसलों के साथ चलते भी तुम हो
कच्छ के दलदलों में सर उठाये रहते भी तुम हो।
हे ! सैनिक महान हो तुम
सरहदों की हिफाज़त में दिन - रात जागते भी तुम हो
दुश्मनो के नापाक इरादों को, असफल करते भी तुम हो
जंग-ए-मैदान में, दुश्मनो से लड़ते भी तुम हो
वतन की खातिर, हँसते-हँसते वतन पर मर-मिटते भी तुम हो।
हे ! सैनिक महान हो तुम
हमवतनों के लिए हमदर्द भी तुम हो
प्राकृतिक आपदाओं में,
हमवतनों की सेवा करते भी तुम हो
कठिन परिस्तिथिओं में,
वतन के अंदर-बाहर के दुश्मनों से,
लड़ते भी तुम हो।
हे ! सैनिक महान हो तुम
तुम इस वतन की रीढ़ हो
तुम भारत माँ की जागीर हो
तुम एकता की मिशाल हो
तुम दुश्मनों के लिए काल हो।
हे ! सैनिक महान हो तुम
तुम देश के सच्चे पहरेदार हो
तुम देश के वफादार हो
तुम शुर-वीर हो
तुम कोहिनूर हो।
हे ! सैनिक महान हो तुम
भारत माँ की संतान हो तुम
हिन्दुस्तान की आन-बान हो तुम
हमवतनो का अभिमान हो तुम।
हे ! सैनिक महान हो तुम।।