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Manisha Wandhare

Abstract Romance

4  

Manisha Wandhare

Abstract Romance

हम जब मिले...

हम जब मिले...

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हम जब मिले उनसे
बातों का सफर जारी रहा
वो देखते रहे आसमान
और हमें समंदर का किनारा सूहाता रहा...

 वो पलटे हमारी तरफ
 तो धडकनों में साज बजता रहा
हम भी देखना चाहते थे आँखो में उनकी
पर खोने का डर सताता रहा...

 टकराही गयी नजरोंसे नजर
 वक्त खामोशीयों से ही कटता रहा
बोल गई आँखें जो छुपाया था
अब सासों का सिलसीला उलझता रहा...


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